Essence of Four Vedas
चार वेद का सार है, गायत्री का जाप।
गीतानन्द जपते रहो, नाशें त्रिविध ताप।।
गायत्री वेद जननी, गायत्री पाप नाशनी।
गायत्रस्तो परो नास्ति जप मंत्रो मनुष्यनां।।
#गायत्री वेद की जननी और सभी पापों को, त्रिविध तापों को नाश करने वाली है। गायत्री से बढ़कर शुद्ध करने वाला कोई दूसरा #मंत्र मनुष्यो के लिए नही है।।
आप भी इस #नवरात्रि में गायत्री उपासना कीजिए।
नवरात्रि गायत्री उपासना के लिए परम पुनीत समय है। ठीक समय पर हुई वर्षा, समय पर बोई हुई कृषि, जिस प्रकार विशेष फलवती होती है, उसी प्रकार नवरात्रि के समय की हुई साधना भी अन्य समयों की अपेक्षा अधिक फलवती होती है।
जैसे दिन और रात्रि का मिलन काल ‘सन्ध्या समय’ कहलाता है और उस समय अध्यात्मिक पूजा उपासना अधिक उपयुक्त रहती है उसी प्रकार शीत और ग्रीष्म ऋतु की मिलन वेला आश्विन तथा चैत्र की नवरात्रि होती है। वैद्य लोग उदर रोग रक्त विकार आदि पुराने रोगों के रोगियों को इन्हीं दिनों वमन विरेचन आदि पञ्च कर्मों द्वारा शरीर की भीतरी सफाई कराते हैं। व्रत के द्वारा अन्न त्याग से शरीर की सफाई होती है तथा निरोगत की प्राप्ति होतो है।
इस समय सभी विशेष रूप से साधना करने के लिए प्रेरणा देते हैं। क्योंकि इन दिनों की हुई साधना भी अन्य समयों में की हुई बहुत बड़ी साधना के समान फलवती होती है।
नवरात्रि में किया हुआ 1 हज़ार, 11 हज़ार या 24 हजार का लघु अनुष्ठान अन्य काल में किये हुए सवालक्ष पुरश्चरण के समान प्रभावशाली होता है इन 9 दिनों में साधना मार्ग में रुचि रखने वालों को गायत्री उपासना के लिए कुछ समय अवश्य निकालना चाहिए।
जिन्हें इन 9 दिनों प्रतिदिन एक बार सवेरे अथवा सुबह शाम दोनों वक्त, मिलकर 1, 2 या 3 घण्टे का समय मिल सके वे 11 हज़ार या 24 हजार मंत्र का लघु अनुष्ठान कर लें।
एक घण्टे में साधारणतः 10 मालाएँ हो जाती हैं और 9 दिन में 24 हजार जप करने के लिये 27 मालाएँ प्रतिदिन करनी पड़ती हैं जिनमें साधारणतः 3 घण्टे से अधिक समय नहीं लगता।
जिन्हें इतना भी समय न मिल सके वे 1 घण्टा प्रतिदिन लगाकर 9 दिन में दस हजार जप करने का प्रयत्न तो अवश्य करें। जो समय इन दिनों साधना में लगाया जायगा वह कदापि निष्फल न जायगा।
साधना के नियम बहुत साधारण हैं। शौच स्नान से निवृत्त होकर शुद्धता पूर्वक आसन पर बैठना चाहिए। प्रातःकाल पूर्व की ओर तथा सायंकाल पश्चिम की ओर मुख रहे। जप काल में घी का दीपक या धूपबत्ती जलती रहे, जल का पात्र, पास में हो सन्ध्या करके गायत्री और गुरु का पूजन करना चाहिए, तदुपरान्त गुरु मंत्र जाप करने के बाद गायत्री जप आरम्भ कर दिया जाय। जप समाप्त हो जाने पर पूजा के जल को सूर्य के सम्मुख चढ़ा देना चाहिए।
इन 9 दिनों ब्रह्मचर्य से रहना आवश्यक है। जिनसे बन पड़े वे उपवास भी करें। जिनसे जल, फल दूध लेकर 9 दिन उपवास करना न बन पड़े। वे अपनी सुविधा के अनुसार भोजन सम्बन्ध में जो तपस्या बरत सकें बरतें।
इन दिनों नमक छोड़ देना भी एक प्रकार का व्रत ही है। इसके अतिरिक्त भूमि शयन, चमड़े का त्याग, पशुओं की सवारी का त्याग, अपनी शारीरिक सेवाएँ स्वयं करना, अपनी हजामत, कपड़े धोना, भोजन बनाना आदि सेवाएँ किसी और से न लेने आदि के व्रत जिनसे निभ सकें वे उन्हें भी निभाने का प्रयत्न करें।
जितनी तपस्या अर्थात अवगुणों का त्याग जितना जिनसे बन पड़े उतना ही उत्तम है।
24 हजार अनुष्ठान के लिए 240 आहुतियों का हवन आवश्यक है।
नवरात्रि का समय आध्यात्मिक दृष्टि से बड़ा ही अमूल्य है इस समय का सदुपयोग करने में विज्ञ सज्जनों को पीछे नहीं रहना चाहिए। जिन के मन में गायत्री उपासना में स्थिर निष्ठा न हो वे केवल परीक्षा के रूप में भी साधना करके देखें तो उन्हें निश्चित रूप से आगे बढ़ने का प्रोत्साहन मिलेगा। जितना समय इस साधन में लगा है उसकी अपेक्षा कहीं अधिक मूल्य का सत्परिणाम उपलब्ध होने की पूरी आशा की जा सकती है।
जिन्हें पूरा गायत्री मन्त्र *याद* न हो या समय की कमी हो वे पञ्चाक्षरी गायत्री *(ॐ भूर्भुवः स्वःओम)* का 24 हजार अनुष्ठान कर सकते हैं। इसकी 27 मालाएँ प्रायः एक घण्टे में हो जाती हैं। प्रतिदिन 12 पाठ के हिसाब से 9 दिन में *108 गायत्री चालीसा* का *अनुष्ठान* भी हो सकता है।
ब्रह्मदान की आवश्यकता:− अनुष्ठान के तीन भाग होते हैं (1) जप (2) हवन (3) दान। (तीनों अंगों की पूर्ति होने से ही गायत्री उपासना पूरी मानी जाती है।
प्रत्येक शुभ कार्य के अन्त में ब्राह्मण भोजन कराया जाता है। ब्रह्म परायण व्यक्ति यों को अन्नदान का प्रयोग ही “ब्राह्मण भोजन” कहलाता है। आज कल न तो ऐसे ब्राह्मण ही मिलते हैं जो ब्रह्मपरायण हों, जिन्हें भोजन कराने से वस्तुतः पुण्य फल प्राप्त हो। दूसरे अब लोगों की आर्थिक स्थिति भी दिन दिन दुर्बल होती जा रही है इसलिए जिन कार्यों में खर्च का प्रसंग आता है उनमें अभिरुचि का घटना स्वाभाविक ही है।
इसलिये ब्रह्मभोज का एक बहुत ही सरल, तरीका यह है लावारिस पशु पक्षियों को भोजन या दाना चुग्गा आदि का दान करे। अवगुणों का भगवान के प्रति दान सर्वश्रेष्ठ है।
अवगुण मिटाएँ सद्गुण अपनाएँ।
आओ मिलकर सत्ययुग् बनाएँ।।
गायत्री की यह उपमा करि गुरु रामानन्द।
गीतानन्द जपते रहो कटे कर्म के फन्द।।
आशा है कि आप इस नवरात्रे में कम से कम 1100 गायत्री मंत्र के जाप अवश्य करेंगे और अपने एक अवगुण के त्याग करने का व्रत लेकर अपने तन मन एवम आत्मा की शुद्धि करेंगे। जिससे आप के त्रिबिध पाप ताप क्षीण होंगे, आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होगी , आप बीमारियों से बचे रहोगे और आपका जीवन मंगलमय होगा।
जगत जननी माँ दुर्गा गायत्री और गुरु भगवान ब्रह्मऋषि गीतानन्द की कृपा आप और आपके परिवार पर बनी रहे। नवरात्रि का त्यौहार आपके जीवन में सद्गुण, सद्बुद्धि और अनेक खुशियां लेकर आए।
इन्ही शुभकामनाओं के साथ,
From the sermon of #Sadguru #BrahmaRishi Geetanand ji.
Gayatri’s chanting is the essence of four Vedas.
Keep chanting Geetanand, Nashe triple heat. ।
Gayatri is the mother of Vedas, Gayatri is the destruction of sin.
Gayatrasto, chant breakfast, chant mantras to humans. ।
#Gayatri is the mother of Vedas and destroying all sins, triple heat. There is no other #mantra for humans to purify more than Gayatri. ।
You also worship Gayatri in this #Navaratri.
Navratri is the ultimate holy time for Gayatri worship. Rainfall on time, agriculture sown on time, as special fruit grows, similarly the meditation done during Navratri is also more fruitful than other times.
Just like the meeting of day and night is called ‘evening time’ and at that time spiritual worship is more appropriate, similarly the meeting of winter and summer is the Navratri of Ashwin and Chaitra. Vaidya people clean the body with five deeds of abdominal disease, blood disorders etc. Sacrificing food through fast cleanses the body and gets healthy.
At this time everyone especially inspires to practice. Because the meditation of these days is also fruitful like a great meditation done in other times.
A short ritual of 1 thousand, 11 thousand or 24 thousand done during Navratri is as effective as the question-lentil purasharan done in other times. In these 9 days, those who are interested in Sadhana Marg for Gayatri Upasana. Some time must be taken.
Those who can get 1, 2 or 3 hours a day every morning or morning both times, they should perform a short ritual of 11 thousand or 24 thousand mantras.
There are usually 10 garlands in an hour and in 9 days to chant 24 thousand, 27 garlands have to be done daily, which usually does not take more than 3 hours.
Those who can’t get this much time must try to chant ten thousand in 9 days by spending 1 hours a day. The time that is spent in these days in practice will never go in vain.
The rules of sadhana are very simple. You should retire from toilet bath and sit on a purity seat. Morning is towards the east and evening is towards the west. Ghee lamp or incense lamp should be lit during the chanting time, water vessel should be nearby and worship Gayatri and Guru, after chanting Guru Mantra, Gayatri chanting should be started. When the chanting is over, the water of worship should be offered before the sun.
It is necessary to live from celibacy these 9 days. Those who are made should also fast. From which you don’t have to fast for 9 days by taking water, fruit milk. They should perform the penance that they can do regarding food as per their convenience.
Leaving salt these days is also a kind of fast. In addition to this, they should also try to fulfill the fast of land sleeping, leather sacrifice, animal riding, doing their own physical services, their own digestion, washing clothes, making food etc. and not taking services from anyone else.
As much penance means sacrifice of demerits, as much as you can make it, it is better.
Havan of 240 sacrifices is necessary for 24 thousand rituals.
The time of Navaratri is very precious in the spiritual vision. Expert gentlemen should not be left behind in making good use of this time. Those who do not have stable loyalty in Gayatri Upasana, they should try to practice only as an exam, then they will definitely be encouraged to move forward. It is expected to have a good result of much more value than the time spent in this tool.
Those who do not remember the entire Gayatri Mantra or lack of time can perform 24 thousand rituals of Panchakshari Gayatri * (। Bhurbhuvah Svahom) * 27 beads of it often happen in an hour. According to 12 lessons daily, * 108 Gayatri Chalisa * can also be * ritual * of * 108 Gayatri Chalisa * in 9 days
Need of Brahmadaan: । Ritual has three parts (1) Chanting (2) Havan (3) Donation. (Gayatri Upasana is considered complete only after the completion of all three organs.
At the end of every auspicious deed, Brahmin food is served. The use of food donation to Brahma is called ′′ Brahmin food Nowadays, there are no Brahmins who are Brahmaparayan, who get virtuous fruit by giving food. Others, now the economic situation of people is also getting weaker day by day, so the incident of interest in the works which comes in the matter of spending is natural.
So, a very simple way of Brahmabhoj is to donate food or food to unclaimed animals and birds. The donation of demerits towards God is the best.
Eliminate demerits and adopt virtues.
Let’s make Satyayug together. ।
Guru Ramanand is doing this example of Gayatri.
Keep chanting Geetanand, the traps of your work. ।
I hope that you will chant at least 1100 Gayatri Mantra in this Navratri and purify your body, mind and soul by taking a fast to sacrifice one of your demerits. By which your triple sins heat will decrease, increase your immune capacity, you will avoid diseases and your life will be auspicious.
May the blessings of the mother of the world be on you and your family. May the festival of Navratri bring virtue, wisdom and many happiness in your life.
With these good wishes,
Good luck
Brahma Rishi Geetananda Ashram
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