Sharad Purnima Festival 2021
शरद पूर्णिमा महोत्सव 2021
हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन माह के शुक्लपक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा, कौमुदी व्रत के नाम से भी जाना जाता है।
हिंदू धर्म में इसका खास महत्व है। कहते हैं इस दिन #चंद्रमा की किरणें अमृत से युक्त होकर पृथ्वी पर आती हैं ।
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक मां लक्ष्मी का जन्म इसी दिन हुआ था। साथ ही भगवान कृष्ण ने गोपियों संग वृंदावन के निधिवन में इसी दिन रास रचाया था।
इसी दिन सद्गुरु ब्रह्मऋषि गीतानन्द जी के परम शिष्य स्वामी खुशियानन्द जी सरस्वती ने सन 1974 में पूर्ण वैराग्य विदेही भाव को प्राप्त होकर, दयानन्द आश्रम ऋषिकेश के नजदीक शीशम झाड़ी घाट पर माँ गंगा की गोद में पद्मासन में बैठकर जल समाधि ली थी। तभी से ब्रह्मऋषि गीतानन्द आश्रम में, शरद पूर्णिमा का उत्सव स्वामी खुशियानन्द जी महाराज के निर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है।
इस बार शरद पूर्णिमा 13 अक्तूबर को मनाई जाएगी । धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु के चार माह के शयनकाल का अंतिम चरण होता है। माना जाता है कि इस दिन चांद अपनी 16 कलाओं से पूरा होकर रातभर अपनी किरणों से अमृत की वर्षा करता है। इन अमृत किरणों से अभिसिंचित खीर का महाप्रसाद, भण्डारे के दौरान सभी भक्त जनों को प्रदान किया जाएगा। सच्ची श्रद्धा भक्ति भावना से यदि इस प्रसाद को ग्रहण किया जाए तो यह अमृत प्रसाद सभी शारीरिक व मानसिक बीमारियों को दूर करने में सक्षम है।
इस पावन अवसर पर आप सभी सदगुरु गीतानन्द जी भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आमंत्रित हैं।
Sharad Purnima Festival 2021
According to #Hindu Panchang, the full moon of Shuklapaksha of Ashwin month is called Sharad Purnima. Sharad Purnima is also known as Ras Purnima, Kaumudi Vrat.
It has special importance in Hindu religion. It is said that on this day the rays of Chandrama come to earth with nectar.
According to mythological beliefs, Mother Lakshmi was born on this day. At the same time, Lord Krishna had created ras with Gopis in the Nidhivan of Vrindavan.
On this day, the supreme disciple of Sadguru BBRhmaRishi Gitanand ji SWAMI BHUSHIANAND JI SARASWATI received full quietness in 1974, the lap of Maa Ganga at Shisham Jhadi Ghat near Dayanand Ashram Rishikesh I sat in Padmasan and took water tomb. Since then in Brahma Rishi Gitananda Ashram, Sharad Purnima is celebrated as the Nirvana Day of Swami Khushiyanand Ji Maharaj.
This time Sharad Purnima will be celebrated on October 13 According to religious beliefs, on the day of Sharad Purnima is the last stage of the four month bed of Lord Vishnu. It is believed that on this day the moon is completed by its 16 arts and showers nectar with its rays overnight. The Mahaprasad of Kheer, abhorred with these nectar rays, will be provided to all the devotees during the Bhandara. If this prasad is accepted with true devotion, then this Amrit Prasad is capable of removing all physical and mental diseases.
On this auspicious occasion, all of you are invited to receive the blessings of Sadguru Geetanand ji Bhagwan.
पूर्णब्रह्म सर्वात्म तुम, गुरु गीतानन्द अपार।
खुशियानन्द को ले गए, जहाँ बजे अनहद के तार।।
-स्वामी खुशियानन्द सरस्वती-
You are full of Brahma, Guru Geetanand is immense.
Took Khushiyanand, where the strings of Anhad were taken. ।
– Swami Khushiyanand Saraswati –
सद्गुरु ब्रह्मऋषि गीतानन्द जी के उपदेश से ज्ञान प्रसाद
साधक गुरु संवाद।।
जब गुरु गीतानन्द जी की कृपा से उनके शिष्य खुशियानन्द जी की असाध्य बीमारी ठीक हो गई और वे मौत के मुँह से वापस जिंदा लौट आये, तो उन्हें तीव्र वैराग्य की प्राप्ति हुई। उन्होंने गुरु गीतानन्द जी से आध्यात्मिक ज्ञान की जिज्ञासा शांत करने के लिए कुछ प्रश्न पूछे। #सद्गुरु गीतानन्द जी ने सहज भाव से सरल उत्तर दिए। उसी संवाद के कुछ अंश भक्तो के हितार्थ दिए जा रहे हैं।
शिष्य स्वामी खुशियानन्द जी ने पूछा: हे गुरुदेव जीवन का उद्देश्य क्या है ?
गुरु गीतानन्द जी ने कहा: जीवन का उद्देश्य उसी चेतना को जानना है – जो जन्म और मरण के बन्धन से मुक्त है। उसे जानना ही मोक्ष है..!!
इह चेदश कदबोद्धम प्राक्शरीरस्य विस्त्रसः।
ततः सर्गेषु लोकेषु शरीरत्वाय कल्पते।।
अर्थात यदि प्राणी इस देह में ही, इसके पतन से पूर्व ही आत्मा रूपी ब्रह्म को जान लेता है तो वो परमात्मा को जान कर तद्रूप हो जाता है, सभी दुखों और जन्म मरण के चक्रव्यूह से सदा के लिए छूट जाता है। और यदि नहीं जान पाता तो कर्म अनुसार फिर जन्म मरण को प्राप्त होता है। इसलिए मनुष्य जन्म का उद्देश्य आत्म ज्ञान अथवा परमात्म प्राप्ति ही है।
मानुष देहि धार के, नही पहिचान राम।
जैसे कुआँ जल बिना, खुदवाया किस काम।।
सब साधन का मूल है, शम संतोष विचार।
चौथे सत्संग नित करे, भव सिंधु हो पार।।
पाप पुण्य दो बीज हैं जन्म मरण सिर भार।
ऊँच नीच योनि मिले, लख चौरासी धार।।
चौरासी से बच चलो, सुमर सुमर श्री राम।
गहो वृति वैराग की, तब पाओ निज धाम।।
शिष्य: जन्म और मरण के बन्धन से मुक्त कौन है ?
गुरु गीतानन्द जी: जिसने स्वयं को, उस आत्मा को जान लिया – वह जन्म और मरण के बन्धन से मुक्त है..!!
सुख दुख एक समान हैं, हानि लाभ न कोय।
हर्ष शोक को तज दिया, जीवन मुक्ति सोय।।
गीतानन्द सम बुद्ध रहो, देह भावना त्याग।
आप आपको लखत रहो, अस्सी पद में जाग।।
शिष्य: संसार में दुःख क्यों है ?
गुरु गीतानन्द जी: वासना, अज्ञान, लालच, स्वार्थ और भय ही संसार के दुःख का मुख्य कारण हैं..!!
बिना ज्ञान नर पशु है, जन्म लिया बेकाम।
पाप पुण्य सिर भर धर, फेर चला यम धाम।।
गीतानन्द इस जगत को, सुपना सा कर जान।
जान जान इस भेद को, हर के लागो ध्यान।।
शिष्य: ईश्वर ने दुःख की रचना क्यों की ?
गुरु गीतानन्द जी: ईश्वर ने संसार की रचना की और मनुष्य ने अपने विचार और कर्मों से दुःख और सुख की रचना की..!!
कर्म नाचवें जीव को, सहे जमों की मार।
पड़ी अविद्या बीच में, सुख दुख बारम्बार।।
शिष्य: क्या ईश्वर है ? यदि वे हैं तो कौन है वे ? उनका क्या रुप है ? क्या वह स्त्री है या पुरुष ? कलियुग में उसकी प्राप्ति कैसे संभव है?
गुरु गीतानन्द जी: कारण के बिना कार्य नहीं हो सकता। यह संसार उस कारण के अस्तित्व का प्रमाण है।
तुम हो, इसलिए वे भी है – उस महान कारण को ही आध्यात्म में ‘ईश्वर’ कहा गया है। वह न स्त्री है और ना ही पुरुष..!! वह ईश्वर अनादि अनन्त अविनाशी निराकार निराधार निर्विकार सचिदानंद ज्योति स्वरूप है जिससे यह सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड प्रकाशमान है। उसी से संसार की उत्पत्ति स्थिति और विलय होता है।
ईशा्वास्यम इदम सर्वम यत किम च जगत्याम जगत।
अर्थात इस संसार में जो कुछ भी है वह ईश्वर का स्वरूपः ही है। ईश्वर के अस्तित्व के बिना सृष्टि अकल्पनीय है।
यही ईश्वर देश काल और भाषा के भेद से अनेक नाम रूपों और गुणों से जाना जाता है। जैसे पानी को जल नीर वाटर आदि अनेक नामो से जाना जाता है, जैसे सोने से बने आभूषण हार कंगन अंगूठी अनेक नामों से जाने जाते है परंतु मूल पदार्थ तो सोना ही होता है।
वह ईश्वर ही भक्तों का मार्गदर्शन और मंगल करने के लिए और अपने आचरण द्वारा आदर्श स्थापित करने के लिए युग युग में प्रकट होकर अनेक दिव्य लीलाएँ करते है।
जन्म मरण से रहित है, नारायण करतार।
भक्त जनों के हेत से, लेत मनुज अवतार।।
#गुरु भक्ति और ब्रह्मयोग दीक्षा के प्रभाव से वह ईश्वर स्वयं प्रकट हो जाता है।
बाहर भीतर एक है, आदि अनादि अडोल।
विश्व व्यापक ब्रह्म जू, बिन क्या बिन बोल।।
सत्य कहूँ तो है नहीं झूठ कहूँ तो पाप।
सत्य झूठ के बीच में, दर्शा आप ही आप।।
ब्रह्म अखंड द्वार को, खोलत है कोई एक।
द्वारे से फिर जात हैं, ऐसे बहुत अनेक।।
चलो चलो सब कोई कहे, पहुँचे विरला कोय।
एक कनक और कामिनी, दुर्गम घाटी दोय।।
शिष्य: भाग्य क्या है ? और इसे कैसे बदल जा सकता है।
गुरु गीतानन्द जी: हर क्रिया, हर कार्य का एक परिणाम है। परिणाम अच्छा भी हो सकता है, बुरा भी हो सकता है। यह परिणाम ही भाग्य है तथा आज का प्रयत्न ही कल का भाग्य है..!!
शुभ कर्मों और गुरु कृपा से भाग्य को बदल जा सकता है।
राई घटे न तिल बढ़े, यह विधना का लेख।
सच्चे सतगुरु जब मिले, मारें लेख पर मेट।।
शिष्य: इस जगत में सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है ?
गुरु गीतानन्द जी: रोज़ हजारों-लाखों लोग मरते हैं और उसे सभी देखते भी हैं, फिर भी सभी को अनंत-काल तक जीते रहने की इच्छा होती है..
इससे बड़ा आश्चर्य और क्या हो सकता है..!!
जलती #चिता को देखके, कुछ तो करिये ध्यान।
सबको जलना होयगा, यह प्रत्यक्ष प्रमाण।।
गीतानन्द तन नगर में, अपना कुछ मत जान।
पांच तीन का पूतला, एक दिन जले शमशान।।
शिष्य: कौन सा एकमात्र उपाय है जिससे जीवन सुखी हो जाता है?
गुरु गीतानन्द जी: शील अर्थात अच्छा स्वभाव और संतोष ही सुखी होने का उपाय है..!!
शीलवन्त सबसे बड़ा, समय रतन की खान।
तीन लोक की संपदा, रहती शील में आन।।
जीवित आशा सब तजी, लखा जगत प्रतिकूल।।
#गीतानन्द #आनन्द भये, मिटी अविद्या शूल।।
शिष्य: धर्म से बढ़कर संसार में और क्या है ?
गुरु गीतानन्द जी: #दया..!!
दया धर्म का बीज है, जा घट करे निवास।
गीतानन्द क्षण एक में, कटे कर्म की फांस।।
शिष्य: ऐसी चीज़ जो जीवों से सब कुछ करवा सकती है
गुरु गीतानन्द जी: #ईश्वर और #गुरु की कृपा।
तेरी सत्ता के बिना, हे प्रभु मंगल मूल।
पत्ता तक हिलता नहीं, खिले न कोई फूल।।
शिष्य: दुनियां की अपराजित चीज़ क्या है ?
गुरु गीतानन्द जी: सत्य..!!
सत्य बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप।
जाके हृदय सत्य है,ताके हृदय हरि आप।।
शिष्य: सफल इंसान बनने के लिए करने लायक
कार्य ?
गुरु गीतानन्द जी: पुरषार्थ और परमार्थ (मेहनत और परोपकार)..!!
शिष्य: दुनियां की सबसे बुरी लत क्या है ?
गुरु गीतानन्द जी: मोह..!!
जगत मोह फाँसी अटल, कटे न और उपाय।
कर संगत निर्मोही की, सहज मुक्त हो जाय।।
शिष्य: दुनियां का स्वर्णिम स्वप्न क्या है?
गुरू गीतानन्द जी: चिन्ता मुक्त जिंदगी..!!
मुर्दे को भी देत हैं, कपड़ा लकड़ी आग।
जीवित जो चिन्ता करें, उनके बड़े अभाग।।
शिष्य खुशिया नन्द जी ने पूछा: दुनियां की अपरिवर्तनशील चीज़ क्या है ?
गुरु गीतानन्द जी ने कहा: मौत..!!
काया नही यह काल है, निश्चय करके जान।
गीतानन्द इस देह बिन, काल हाने क्या आन।।
शिष्य: ऐसी चीज़ क्या है जो स्वयं के भी समझ ना आये ?
गुरु गीतानन्द जी: अपनी मूर्खता और अभिमान।
अहँकार ने सब किया, ज्ञान ध्यान का नाश।
गीतानन्द अमानी हो, करो दुष्ट का नाश।।
शिष्य: दुनियां में कभी भी नष्ट न होने वाली चीज़ क्या है ?
गुरु गीतानन्द जी: आत्मा और ज्ञान..!!
मन आत्म में लीन भया, पाया सहज स्वरूप।
तेज तेज में मिल गया , एक आत्मा रूप।।
भाव अभाव ना संभवे, किंचित नहीं अज्ञान।
गीतानन्द सोइ आत्मा, निश्चय करके जान।।
शिष्य: कभी न थमने वाली चीज़ और सबसे अनमोल चीज क्या है ?
गुरू गीतानन्द जी: समय औऱ प्राण।
समय अमोलक जात है, ज्यों पोखर का नीर।
गीतानन्द भज हरि ॐ को, पाया मनुज शरीर।।
जग माहीं न्यारे रहो, लगे रहो हर ध्यान।
पृथ्वी पर देह धरे, परमेश्वर में प्राण।।
भक्ति प्राण से होत है, मन से दीजिये भाव।
गीतानन्द हरि प्रीति में, यह तन जाय तो जाव।।
शिष्य स्वामी खुशिया नन्द जी ने पूछा : कलियुग में भव सागर से पार उतरने का मार्ग क्या है?
गुरु गीतानन्द जी ने कहा: ब्रह्म योग दीक्षा, निष्काम कर्म और हरि ॐ नाम सुमिरण ही इस कलियुग में भाव सागर से उतरने का सरलतम उपाय है।
नाम जपा तो सब किया, आप ही सब कुछ होय।
पात फूल फल पाइये , भक्ति बीज घट बोय।।
काया से कारज करो, मन से भज करतार।
गीतानन्द भव सिंधु से तरते लगे न वार।।
स्वांसों की कर सुमरनी, अजपा का कर जाप।
ब्रह्म तत्व का ध्यान कर, सोहम आप ही आप।।
शिवजी ने उपदेश किया, ब्रह्म योग का ज्ञान।
गीतानन्द अभ्यास करो, तज काया अभिमान।।
इसलिए प्यारे भक्त जनों आपसे प्रार्थना है कि अपने समय का सदुपयोग करे। चलते फिरते उठते बैठते सद्गुरु ब्रह्मऋषि गीतानन्द जी के बताए हुए गुरु मंत्र का ज्यादा से ज्यादा जाप करें। ताकि हमारा मंगल हो, हम् सभी स्वस्थ और सुख समृद्धि से पूर्ण हों। गुरु भगवान गीतानन्द जी की कृपा सभी पर बनी रहे और सभी उनके बताए मार्ग का अनुसरण कर अपना जीवन सफल बनायें। आइये आज से एक नए जीवन की शुरूवात करें।
अवगुण हटाएँ सद्गुण अपनाएँ।
आओ मिलकर सतयुग बनाएँ।।
शुभेच्छु
ब्रह्मऋषी गीतानन्द आश्रम।
सद्गुरु ब्रह्मऋषि गीतानन्द भगवान की जय।
स्वामी खुशियानन्द जी की जय।
सभी संत महात्माओं और गुरुवो का आभार, जिन्होंने समस्त लोक का मार्गदर्शन करने के लिए अवतार लिया। आइये गुरुवों के जीवन से सीख लेकर उनके बताए मार्ग का अनुसरण करें। संदेश शेयर करके सभी को अच्छे मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करें।।
हरि ॐ।।
lifestyle Budget yoga Meditation HariOm
Geetanandashram@gmail.com
Sadguru Brahma Gitanand ji’s Upadesh Jjan Prasad
Sadhak Guru Dialogue. ।
When by the grace of Guru Geetanand ji, his disciple Khushiyanand ji’s incurable disease was cured and he returned alive from the mouth of death, he felt intense quietness. He asked Guru Geetanand ji some questions to calm the curiosity of spiritual knowledge. Sadguru Gitanand ji gave simple answers. Some parts of the same Samvad are being given to the devotees.
Disciple Swami Khushiyanand Ji asked: O Gurudev, what is the purpose of life?
Guru Geetanand ji said: The purpose of life is to know the same consciousness – which is free from #life and death. Knowing her is MS..!!
इह चेदश कदबोद्धम प्राक्शरीरस्य विस्त्रसः।
ततः सर्गेषु लोकेषु शरीरत्वाय कल्पते।।
That is, if the creature knows the Brahma of the soul even before its downfall, then it becomes tadrup after knowing the God, all the sorrows and death are expelled forever. And if you don’t know, then you get birth and death according to your karma. That’s why the purpose of human birth is to get self obedience or supreme soul.
Man is of body, not recognized by Ram.
Like a well without water, what is the use of digging. ।
The root of all means, Sham Santosh thought.
Let the fourth satsang be done, let the Indus cross. ।
Sin and virtue are two seeds. Birth and death are head weight.
High and low vagina found, one lakh fourteen edges. ।
Avoid Chaurasi, Sumar Sumar Shri Ram.
If you have the attitude of vairag, then you will get your own place. ।
Disciple: Who is free from the bondage of birth and death?
Guru Geetanand ji: Who knows himself, that soul – is free from the bond of birth and death..!!
Happiness and sorrow are the same, there is no loss and no gain.
I have abandoned the joy of mourning, life is free. ।
Gitanand be like Buddha, sacrifice your body and spirit.
May you be happy, wake up in eighty position. ।
Disciple: Why is there sorrow in the world?
Guru Geetanand ji: Lust, ignorance, greed, selfishness and fear are the main reason of the world’s sorrow..!!
Without knowledge, male is an animal, born useless.
Keep your head full of sins and virtues, and go back to Yam Dham. ।
Geetanand, make this world a dream.
Know this discrimination, pay attention to everyone. ।
Disciple: Why did God create sorrow?
Guru Geetanand ji: God created the world and man created sorrow and happiness with his thoughts and deeds..!!
Karma dances to the creature, tolerate the beating of the people.
In the middle of the world, happiness and sorrow repeatedly. ।
Disciple: Is there God? If they are then who are they? What is their form? Is she a female or a male? How is it possible to get it in Kaliyug?
Guru Geetanand Ji: Work cannot be done without reason. This world is proof of the existence of that reason.
You are, so are they – that great reason is called ‘God’ in spirituality. She is neither a woman nor a man..!! She is God eternal, immortal, indestructible, formless, uninterrupted, Sachidanand Jyoti Swarup, which enlightens the whole universe. From him the origin of the world and the merger.
Ishawasyam Idam Sarvam Yat Kim Ch Jagatyam Jagat ।
That is, everything in this world is the form of God. Without the existence of God the creation is unimaginable.
This God is known by many names, forms and qualities by the difference between the time and language. Like water is known by many names, water, water etc. like gold, jewellery, necklace, bracelet ring are known by many names, but the basic substance is gold.
He is the only God to guide and do good to the devotees and to establish ideal by his conduct, he does many divine lalas.
Birth is free of death, Narayan Kartar
For the sake of devotees, let manuj avatar. ।
With the influence of Guru Bhakti and Brahmayoga The Dhiksha that God himself manifests.
There is one inside outside, etc. Eternal Adol.
World wide Brahma Ju, without what without speaking. ।
If I tell the truth, it is not a sin if I tell a lie.
In the middle of truth and lies, you are the one who shows you. ।
One opens the unbroken door of Brahma.
There are so many who go through the door. ।
Let’s all say, some rare people have reached.
A Kanak and Kamini, remote valley Doy. ।
Disciple: What is Bhagya? And how it can be changed.
Guru Geetanand Ji: Every action, every action has a result. Results can be good, bad too. This result is luck and today’s effort is tomorrow’s fate..!!
Destiny can be changed by Good Karma and Guru Ka.
Mustard decreases or mole increases, this is the article of Vidhana.
When you meet a true Satguru, hit the mate on the article. ।
Disciple: What is the biggest surprise in this world?
Guru Geetanand ji: Thousands of people die everyday and everyone sees it, yet everyone wants to live till eternity..
What can be a bigger surprise than this..!!
Seeing the burning chita, at least pay attention.
Everyone has to burn, this is a direct proof. ।
In Geetanand Tan Nagar, don’t know anything about yourself.
The effigy of five three, one day the crematorium burns. ।
Disciple: What is the only solution that makes life happy?
Guru Geetanand ji: Modesty means good nature and satisfaction is the only solution to be happy..!!
Sheelwant is the greatest, time is the mine of Ratan.
The wealth of three people, lives in modesty. ।
Living hope is all over, lakhs of world is adverse. ।
#Gitanand #Ananand, the soil is unnecessary. ।
Disciple: What is more in the world than religion?
Guru Geetanand Ji: #Daya..!!
Mercy is the seed of religion, go and reside.
Geetanand moment in one, the lanes of kate karma. ।
Disciple: something that can make animals do everything
Guru Geetanand ji: #God and #Guru’s grace.
Without your power, O Lord, Mars is the original.
Even the leaf does not move, no flower blooms. ।
Disciple: What is the undefeated thing in the world?
Guru Geetanand Ji: Truth..!!
Truth is not equal penance, lie is equal sin.
Go to the heart and be true, so that you are the Lord of the heart. ।
Disciple: Worth to be a successful person
Action?
Guru Geetanand ji: Purushartha and Charity (hard work and charity)..!!
Disciple: What is the worst addiction in the world?
Guru Geetanand ji: Fascination..!!
The world’s fascination, hanging is firm, no other solution.
Do company of Nirmohi, be free easily. ।
Disciple: What is the golden dream of the world?
Guru Geetanand ji: Worry free life..!!
They give cloth, wood and fire to the dead too.
Great deficiency of those who worry alive. ।
Disciple Khushiya Nand Ji asked: What is the irreversible thing in the world?
Guru Geetanand ji said: Death..!!
This is not body, this is death, decide to know.
Geetanand without this body, what is the death of death. ।
Disciple: What is such a thing that even your own can’t understand?
Guru Geetanand Ji: Your stupidity and pride.
Ego has done everything, knowledge and meditation is destroyed.
Geetanand be Amani, destroy the evil. ।
Disciple: What in the world is the thing that will never be destroyed?
Guru Geetanand Ji: Soul and Knowledge..!!
Mind is engaged in self, found easy form.
Got in fast fast, a soul form. ।
Lack of feelings is not possible, not a little bit of ignorance.
Geetananda Soi soul, decide to know. ।
Disciple: What is the never-stop thing and the most precious thing?
Guru Geetanand ji: Time and life.
Time is priceless, like the water of the puddle.
Gitananda Bhaj Hari Om, found a human body. ।
Be different in the world, keep your attention on every meditation.
Body on earth, life in God. ।
Devotion is done by life, give feelings from heart.
In Geetanand Hari Preeti, if this body goes then go. ।
Disciple Swami Khushiya Nand Ji asked: What is the way to cross the Bhav Sagar in Kaliyug?
Guru Geetanand ji said: Brahma Yoga Deeksha, impeccable karma and Hari Om Naam Sumiran are the easiest way to get down from the ocean of Bhav in this Kaliyug.
I chant the name and did everything, you are everything.
Get the fruit of the leaves, the seeds of devotion sow less. ।
Do work with body, bhaj kartar from heart.
Geetanand Bhava Sindhu is floating in the attack. ।
Don’t remember the self, chant the Ajpa.
Take care of the Brahma element, you are the only one. ।
Shivaji preached, the knowledge of Brahma Yoga.
Practice Geetananda, Taj Kaya Pride. ।
So dear devotees, I pray to you to make good use of your time. Chant the Guru Mantra told by Sadguru Brahma Rishi Geetanand Ji as much as you can. So that we may be blessed, we all be healthy and prosperous. May the blessings of Guru Bhagwan Geetanand be on everyone and make your life successful by following his path. Let’s start a new life from today.
Remove demerits and adopt virtues.
Let’s make Satyug together. ।
Good luck
Brahma Rishi Geetananda Ashram.
Hail to Sadguru Brahma Rishi Geetananda Bhagwan.
Hail to Swami Khushiyanand.
Gratitude to all the saints and gurus, who took the incarnation to guide the whole world. Let’s learn from the life of the teachers and follow the path given by them. Encourage everyone to follow the right path by sharing the message. ।
Hari Om. ।
#lifestyle #Budget #yoga #Meditation #HariOm
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