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Dedicated at the feet of Sadguru Gitanand ji

सद्गुरु गीतानन्द जी के चरणों में समर्पित

बसे हो तुम दिल के अंदर, कैसे तुम्हारे दर्शन पाऊँ ।

तुमसे ही मिले दृष्टि शक्ति, फिर कैसे तुम्हें देख पाऊँ ।

गूँजते हो अनहद बनकर, कैसे तुम्हें सुन पाऊँ ।

तुम से ही मिले श्रवण शक्ति, फिर कैसे तुम्हें सुन पाऊँ ।

शब्द स्पर्श रूप रस से परे, फिर कैसे अनुभव कर पाऊँ ।

घट-घट के वासी तुम अविनाशी, कैसे तुम्हारी शरण में आऊँ ।

राम कृष्ण शिव रूप धरो तुम, किस रूप में तुम्हें बुलाऊँ ।

मर्ज़ी के मालिक गुरु गीतानन्द किस बात से तुम्हें रिझाऊँ

बसे हो तुम स्वांस स्वांस में, कैसे तुम्हारे दर्शन पाऊँ ।

जन्म जन्म का थका हुआ हूँ, कैसे तुम्हारे द्वार पर आऊँ ।

कर कर थका उपाय सभी, भव सागर बीच भरमाउँ ।

मोह माया बड़ा बवंडर, कैसे इसके पार मैं आऊँ ।

भक्त हेत अवतारी गुरु गीतानन्द की शरण में आऊँ ।

तन मन धन की बाजी लगी अब, क्या करूँ कुछ समझ ना पाऊँ ।

ओ कृष्णा के कृष्णा, तेरा शरणागत हो पुकार लगाऊँ ।

आना हो तो आ जाओ, स्वांस स्वांस में तुम्हें बुलाऊँ ।

हरि ॐ।

ॐ ह्रीं परं ब्रह्म परं गुरु गीतानन्दाय नमः।।

ॐ सर्वेभ्यो गुरुभ्यो नमो नमः।।

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Dedicated at the feet of Sadguru Gitanand ji

You are settled inside my heart, how can I see you.

I got my vision power from you, then how can I see you.

You echo like an unhappy, how can I hear you.

I met you only Shravan Shakti, then how can I hear you.

How can I experience the word touching form, then how can I experience it.

You are indestructible inhabitant of Ghat-Ghat, how can I come to your shelter.

Ram Krishna, keep the form of Shiva, how should I call you.

Master of wish Guru Geetanand, what should I please you?

You are living in my breath, how can I see you.

Tired of birth, how can I come to your door.

Tax all the tired measures, let’s go in the middle of the ocean.

Moh Maya is a big tornado, how can I cross it.

I am a devotee, come in the shelter of Guru Geetanand.

Body, mind, money is playing now, what should I do, I can’t understand anything.

O Krishna’s Krishna, I pray to you.

Come if you want to come, I will call you in my breath.

Hari Om.

ॐ ह्रीं परं ब्रह्म परं गुरु गीतानन्दाय नमः।।

ॐ सर्वेभ्यो गुरुभ्यो नमो नमः।।